शास्त्र की चेतावनियाँ
(एक उत्तरदायी अध्ययन)
“हाय उन पर जो बड़े तड़के उठ कर मदिरा पीने लगते हैं और बड़ी रात तक दाखमधु पीते रहते हैं जब तक उन को गर्मी न चढ़ जाए! ” (यशायाह 5:11)।
“उनकी जेवनारों में वीणा, सारंगी, डफ, बांसली और दाखमधु, ये सब पाए जाते हैं; परन्तु वे यहोवा के कार्य की ओर दृष्टि नहीं करते, और उसके हाथों के काम को नहीं देखते ” (पद 12)।
” फिर यहोवा ने हारून से कहा, कि जब जब तू वा तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएं तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पिए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे, (लैव्यवस्था 10:8,9)।
“ वे गाकर फिर दाखमधु न पीएंगे; पीने वाले को मदिरा कड़ुवी लगेगी ”(यशायाह 24:9) ।
“ हे लमूएल, राजाओं का दाखमधु पीना उन को शोभा नहीं देता, और मदिरा चाहना, रईसों को नहीं फबता”; (नीतिवचन 31:4)।
” घमण्ड के मुकुट पर हाय! जो एप्रैम के मतवालों का है, और उनकी भड़कीली सुन्दरता पर जो मुर्झानेवाला फूल है, जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर दाखमधु से मतवालों की है ” (यशायाह 28:1)।
“जो रागरंग से प्रीति रखता है, वह कंगाल होता है; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखता है, वह धनी नहीं होता” (नीतिवचन 21:17)।
“क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पीनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं” (नीतिवचन 23:21)।
” और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले ” (इब्रानियों 2:15)
” हाय उन पर जो दाखमधु पीने में वीर और मदिरा को तेज बनाने में बहादुर हैं,” (यशायाह 5:22)
“और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ ” (इफिसियों 5:18) ।
” दाखमधु ठट्ठा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं” (नीतिवचन 20:1) ।
“कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फंसता है? कौन बक बक करता है? किस के अकारण घाव होते हैं? किस की आंखें लाल हो जाती हैं?” (नीतिवचन 23:29)
“उन की जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूंढ़ने को जाते हैं” ( पद 30)।
” जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उस को न देखना ”( पद 31)।
” क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाईं डसता है, और करैत के समान काटता है।”( पद 32)।
“क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरूषगामी। न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे ”(1 कुरिन्थियों 6:9,10)
“इसलिये अब सावधान रह, कि न तो तू दाखमधु वा और किसी भांति की मदिरा पीए, और न कोई अशुद्ध वस्तु खाए”, (न्यायियों 13:4) ।
” क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?” (1 कुरिन्थियों 6:19) ।
“क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो ” (पद 20) ।
” सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महीमा के लिये करो” (1 कुरिन्थियों 10:31) ।
शराब पर मत देखो
वह इसके प्रवाह में चमकती है,
क्योंकि मौत वहीं सो रही है,
इसकी सुर्ख चमक के नीचे।
खुशियाँ नहीं लाती,
अंत में यह केवल चुभती है;
यह काटती है, और यह मरोड़ती है
कड़वी हाय के साथ दिल।
परीक्षा में पड़ी आत्मा को ऊपर उठाओ
अब मायूस हो गए,
ऊपर उनके विचारों को निर्देशित करें,
परमेश्वर के लिए, जो प्रार्थना सुनता है।
पराक्रमी शक्ति में उसका हाथ
दानव डरपोक बोली लगा सकते हैं,
और परीक्षा की घड़ी में
क्या पलायन की तैयारी होगी।
एफ ई बेल्डेन