न्यायी का पुनरुत्थान
1. किस बात के बारे में हमें अज्ञानी नहीं होना चाहिए?
“हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं।” (1 थिस्सलुनीकियों 4:13)।
2. आशा और सांत्वना का आधार क्या बताया गया है?
“क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।” (पद 14)।
3. संतों का यह पुनरुत्थान कब होगा?
“15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।
16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।” (पद 15,16)।
4. तब क्या होगा?
“17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।” (पद 17)।
5. हमें किस बात से एक दूसरे को सांत्वना देनी चाहिए?
“सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो॥” (पद 18)।
टिप्पणी:-मृतकों में से पुनरुत्थान की आशा एक अमर जीवन के लिए सुसमाचार में दी गई महान आशा है।
6. किस विषय में मसीह ने हमें आश्चर्य न करने के लिए कहा?
“28 इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे। 29 जिन्हों ने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्हों ने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे।” (यूहन्ना 5:28,29)।
7. उन लोगों के बारे में क्या कहा जाता है जिन्हें पहले पुनरुत्थान में गले लगाया गया था?
“धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहिले पुनरुत्थान का भागी है, ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हजार वर्ष तक राज्य करेंगे॥” (प्रकाशितवाक्य 20:6)।
8. मसीही आशा किस एक तथ्य पर आधारित है?
“12 सो जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है, कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने क्योंकर कहते हैं, कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं?
13 यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
14 और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
15 वरन हम परमेश्वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उस ने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते।
16 और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
17 और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।
18 वरन जो मसीह मे सो गए हैं, वे भी नाश हुए।
19 यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं॥” (1 कुरीं 15:12-19)।
9. तब प्रेरित ने कौन-सी सकारात्मक घोषणा की?
“20 परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।
21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया।
22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।” (पद 20-22।
टिप्पणी:-मसीह का पुनरुत्थान कई मायनों में इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है। यह मसीही कलीसिया की महान और अभेद्य नींव और आशा है। मसीही धर्म का हर मौलिक सत्य मसीह के पुनरुत्थान में शामिल है। यदि इसे उखाड़ फेंका जा सकता है, तो मसीही धर्म के हर आवश्यक सिद्धांत को अमान्य कर दिया जाएगा। मसीह का पुनरुत्थान हमारे पुनरुत्थान और भावी जीवन की प्रतिज्ञा है।
10. मसीह स्वयं को क्या होने की घोषणा करता है?
“25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” (यूहन्ना 11:25,26)। “मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं।” (प्रकाशितवाक्य 1:18)।
टिप्पणी:-मसीह ने मौत को नींद में बदल दिया। पूर्ण मृत्यु कोई जागृति नहीं जानती; परन्तु मसीह के द्वारा जो मृत्यु के वश में पड़ गए हैं, वे जिलाए जाएंगे, कितनों के अनन्त जीवन के लिए, और कितनों की मृत्यु के लिए।
11. अय्यूब क्या सवाल पूछता और जवाब देता है?
“14 यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? जब तक मेरा छूटकारा न होता तब तक मैं अपनी कठिन सेवा के सारे दिन आशा लगाए रहता।
15 तू मुझे बुलाता, और मैं बोलता; तुझे अपने हाथ के बनाए हुए काम की अभिलाषा होती।” (अय्यूब 14:14,15)।
12. अय्यूब क्यों चाहता था कि उसके वचन लोहे की कलम से खुदी हुई और चट्टान में हमेशा के लिए सीसे से खुदी हुई पुस्तक में लिखे हों?
“25 मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ाने वाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।
26 और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में हो कर ईश्वर का दर्शन पाऊंगा।” (अय्यूब 19:25,26)।
13. पौलुस कैसे कहता है कि पवित्र लोगों को वह जिलाएगा?
“51 देखे, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।
52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे” (1 कुरीं 15:51,52)।
14. तब उनके शरीर में कौन-सा बड़ा परिवर्तन होगा?
“42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है।
44 स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।” (पद 42-44)।
15. तब कौन-सी कहावत पूरी की जाएगी?
“हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?” (पद 55)।
16. दाऊद ने कब कहा कि वह संतुष्ट होगा?
“परन्तु मैं तो धर्मी होकर तेरे मुख का दर्शन करूंगा जब मैं जानूंगा तब तेरे स्वरूप से सन्तुष्ट हूंगा॥” (भजन संहिता 17:15)।
17. सोए हुए संतों के विषय में परमेश्वर ने कौन-सी सांत्वनादायक प्रतिज्ञा की है?
“मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूंगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्ति कहां रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्ति कहां रहीं? मैं फिर कभी नहीं पछताऊंगा” (होशे 13:14)।
18. उसने और क्या करने का वादा किया है?
“और वह उन की आंखोंसे सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।” (प्रकाशितवाक्य 21:4)। इस पुस्तक के अध्याय 192 से 201 तक का अध्ययन देखें।