आत्मा के उपहार
1.किस विषय के बारे में हमें सूचित किया जाना चाहिए?
“भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मिक वरदानों के विषय में अज्ञात रहो।” (1कुरीं 12:1)।
2.जब मसीह चढ़ा, तो उसने मनुष्यों को क्या दिया?
“इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।” (इफिसियों 4:8)।
3.ये कौन-से वरदान थे जो मसीह ने मनुष्यों को दिए?
“और उस ने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया” (पद 11)।
4.इन वरदानों के बारे में अन्यत्र कैसे कहा जाता है?
“और परमेश्वर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करने वाले, फिर चंगा करने वाले, और उपकार करने वाले, और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले।” (1 कुरीं 12:28)।
5.कलीसिया को ये वरदान किस उद्देश्य से दिए गए थे?
“12 जिस से पवित्र लोग सिद्ध हों जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।
13 जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।
14 ताकि हम आगे को बालक न रहें, जो मनुष्यों की ठग-विद्या और चतुराई से उन के भ्रम की युक्तियों की, और उपदेश की, हर एक बयार से उछाले, और इधर-उधर घुमाए जाते हों।
15 वरन प्रेम में सच्चाई से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं।” (इफिसियों 4:12-15)।
6.कलीसिया में वरदानों के प्रयोग से क्या परिणाम प्राप्त करना है?
“जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।” (पद 13)।
7.उपहारों की विविधता में एकता कैसे बनी रहती है?
“वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है।” (1 कुरीं 12:4)।
8.इस एक आत्मा का प्रकटीकरण किस उद्देश्य से दिया गया है?
“7 किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।
8 क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैं; और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें।
9 और किसी को उसी आत्मा से विश्वास; और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है।
10 फिर किसी को सामर्थ के काम करने की शक्ति; और किसी को भविष्यद्वाणी की; और किसी को आत्माओं की परख, और किसी को अनेक प्रकार की भाषा; और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना।” (पद 7-10)।
9.आत्मा के वरदानों के वितरण को कौन नियंत्रित करता है?
“परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है॥” (पद 11)।
10.क्या यह परमेश्वर की योजना थी कि सभी के पास समान उपहार हों?
“29 क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं? क्या सब सामर्थ के काम करने वाले हैं? 30 क्या सब को चंगा करने का वरदान मिला है? क्या सब नाना प्रकार की भाषा बोलते हैं?” (पद 29,30)।
11.क्या आत्मा के वरदान सदा तक बने रहेंगे?
“प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।” (1 कुरीं 13:8)।
12.आत्मा के वरदानों की अब और आवश्यकता कब नहीं होगी?
“परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।” (पद 10)।