मसीह का पुनरुत्थान
1.किस भजन में मसीह के पुनरुत्थान की भविष्यद्वाणी की गयी थी?
“क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा॥” (भजन संहिता 16:10)।
2.योना किस प्रकार से मसीह का एक प्रकार था?
“यूनुस तीन रात दिन जल-जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।” (मत्ती 12:40)।
3.मसीह ने अपने पुनरूत्थान की भविष्यद्वाणी किन सरल शब्दों में की?
“उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं।” (मत्ती 16:21)। “22 और वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा। 23 इस पर वे बहुत उदास हुए॥” (मत्ती 17:22,23)। “और उस ने कहा, मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे।” (लूका 9:22; मत्ती 20:17-19; मरकुस 8:31; 9:31,32; 10:32-34; लूका 18:31-34)।
4.जब यहूदियों ने अपने मसीहा होने के चिन्ह के बारे में पूछा, तो यीशु ने क्या कहा?
“यीशु ने उन को उत्तर दिया; कि इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा।” (यूहन्ना 2:19)।
5.उसने किस मंदिर का उल्लेख किया?
“20 यहूदियों ने कहा; इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हें, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा? 21 परन्तु उस ने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था।” (पद 20,21)।
6.उसके पुनरुत्थान के बाद, इस भविष्यद्वाणी का उसके चेलों पर क्या प्रभाव पड़ा?
“सो जब वह मुर्दों में से जी उठा तो उसके चेलों को स्मरण आया, कि उस ने यह कहा था; और उन्होंने पवित्र शास्त्र और उस वचन की जो यीशु ने कहा था, प्रतीति की॥” (पद 22)।
7.महायाजकों और फरीसियों ने कैसे मसीह के पुनरुत्थान से संबंधित उसके वचनों को पूरा होने से रोकने की कोशिश की?
“62 दूसरे दिन जो तैयारी के दिन के बाद का दिन था, महायाजकों और फरीसियों ने पीलातुस के पास इकट्ठे होकर कहा।
63 हे महाराज, हमें स्मरण है, कि उस भरमाने वाले ने अपने जीते जी कहा था, कि मैं तीन दिन के बाद जी उठूंगा।
64 सो आज्ञा दे कि तीसरे दिन तक कब्र की रखवाली की जाए, ऐसा न हो कि उसके चेले आकर उसे चुरा ले जाएं, और लोगों से कहने लगें, कि वह मरे हुओं में से जी उठा है: तब पिछला धोखा पहिले से भी बुरा होगा” (मत्ती 27:62-64)।
8.पीलातुस ने उनके अनुरोध का पालन कैसे किया?
“65 पीलातुस ने उन से कहा, तुम्हारे पास पहरूए तो हैं जाओ, अपनी समझ के अनुसार रखवाली करो। 66 सो वे पहरूओं को साथ ले कर गए, और पत्थर पर मुहर लगाकर कब्र की रखवाली की॥” (पद 65,66)।
9.यह सब कितना व्यर्थ था?
“सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं।
2 और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया।
3 उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले की नाईं उज्ज़्वल था।
4 उसके भय से पहरूए कांप उठे, और मृतक समान हो गए।
5 स्वर्गदूत ने स्त्र्यिों से कहा, कि तुम मत डरो: मै जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रुस पर चढ़ाया गया था ढूंढ़ती हो।
6 वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है; आओ, यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा था।
7 और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो, कि वह मृतकों में से जी उठा है; और देखो वह तुम से पहिले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे, देखो, मैं ने तुम से कह दिया।” (मत्ती 28:1-7; यह भी देखें मरकुस 16:1-16; लूका 24:1-8, 44-46; यूहन्ना 20:1-9)।
10.क्या मसीह के लिए मृत्यु को पकड़ना संभव था?
“23 उसी को, जब वह परमेश्वर की ठहराई हुई मनसा और होनहार के ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधमिर्यों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वा कर मार डाला। 24 परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।” (प्रेरितों के काम 2:23,24)।
11.पौलुस मसीह के पुनरुत्थान के बारे में कैसे बोलता है?
“3 इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया। 4 ओर गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा।” (1कुरीं 15:3,4)।
12.प्रेरितों के अनुसार किसने मसीह को उसके जी उठने के बाद देखा?
“5 और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया।
6 फिर पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिन में से बहुतेरे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए।
7 फिर याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया।
8 और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूं” (पद 5-8)।
13.मसीह के पुनरुत्थान का क्या महत्त्व है?
“14 और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
15 वरन हम परमेश्वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हम ने परमेश्वर के विषय में यह गवाही दी कि उस ने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते।
16 और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा।
17 और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो।
18 वरन जो मसीह मे सो गए हैं, वे भी नाश हुए।” (पद 14-18)।
14.पुनरुत्थान का क्या सकारात्मक आश्वासन दिया गया है?
“परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।” (पद 20)।
15.इसलिए कौन-सी महान सच्चाई का अनुसरण किया जाता है?
“और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।” (पद 22)।
16.मसीह ने अपने पुनरुत्थान के बारे में अपने लोगों को क्या उत्साहजनक संदेश भेजा है?
“कि मैं प्रभु के दिन आत्मा में आ गया, और अपने पीछे तुरही का सा बड़ा शब्द यह कहते सुना।”(प्रकाशितवाक्य 1:10)।
17.परमेश्वर की शक्ति का माप क्या है जिसे विश्वासी अपने दैनिक जीवन में अनुभव कर सकते हैं?
“18 और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है।
19 और उस की सामर्थ हमारी ओर जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है, उस की शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार।
20 जो उस ने मसीह के विषय में किया, कि उस को मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्यानोंमें अपनी दाहिनी ओर” (इफिसियों 1:18-20)।
18.मसीह के गाड़े जाने और पुनरुत्थान के स्मारक के रूप में कौन-सा मसीही अध्यादेश दिया गया है?
“3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया
4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे” (रोमियों 6:3-5)।