(25) धार्मिकता और जीवन

1.मसीह में विश्वास करने वाले को क्या आश्वासन दिया जाता है?
“क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा, कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, कि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना 3:6)।

2.सुसमाचार में क्या प्रकट किया गया है?
“क्योंकि उसी में परमेश्वर की वह धार्मिकता है जो विश्वास से विश्वास पर प्रगट हुई है: जैसा लिखा है, कि धर्मी विश्वास से जीवित रहेगा।” (रोमियों 1:17)।

3.मसीह ने सुसमाचार के द्वारा क्या प्रकाश डाला है?
“पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाश हुआ, जिस ने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।” (2 तीमुथियुस 1:10)।

4.इस प्रकार धार्मिकता और जीवन कितनी निकटता से जुड़े हुए हैं?
“धर्म की बाट में जीवन मिलता है, और उसके पथ में मृत्यु का पता भी नहीं॥” (नीतिवचन 12:28)।

5.जो धार्मिकता का अनुसरण करता है, वह क्या पाता है?
“जा का मन नालियों के जल की नाईं यहोवा के हाथ में रहता है, जिधर वह चाहता उधर उस को फेर देता है।” (नीतिवचन 21:1)।

6.किस के द्वारा अनुग्रह अनन्त जीवन पर राज्य करता है?
“जिस प्रकार पाप ने मृत्यु तक राज्य किया, वैसे ही अनुग्रह धार्मिकता के द्वारा हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनन्त जीवन तक राज्य करे।” (रोमियों 5:21)।

7.आत्मा का जीवन क्या है?
“और यदि मसीह तुम में हो, तो देह पाप के कारण मर गई है; परन्तु आत्मा धर्म के कारण जीवन है।” (रोमियों  8:10)।

8.परमेश्वर की आज्ञाओं को क्या घोषित किया गया है?
“तेरी सब आज्ञाएं धार्मिकता हैं।” (भजन संहिता 119:172)।

9.यीशु ने परमेश्वर की आज्ञा को क्या घोषित किया?
“और मैं जानता हूं, कि उसकी आज्ञा अनन्त जीवन है।” (यूहन्ना 12:50।

ध्यान दें:-जीवन और धार्मिकता को इस प्रकार अविभाज्य दिखाया गया है।

10.यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता ने मसीह को क्या घोषित किया?
“उसके दिनों में यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे: और यहोवा उसका नाम यहोवा “हमारी धामिर्कता” रखेगा।” (यिर्मयाह 23:6)।

11.मसीह स्वयं को क्या घोषित करता है?
“मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ।” (यूहन्ना 14:6)।

12.धार्मिकता कैसे प्राप्त होती है?
“क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।” (रोमियों 5:17)।

13.अनन्त जीवन कैसे प्रदान किया जाता है?
“पाप की मजदूरी तो मृत्यु है; परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनन्त जीवन है।” (रोमियों 6:23)।

14.मूसा ने धार्मिकता का आधार क्या बताया?
“और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमों को मानने में चौकसी करें, तो वह हमारे लिये धर्म ठहरेगा॥” (व्यवस्थाविवरण 6:25)।

15.अनन्त जीवन के लिए मसीह ने किस बात को अनिवार्य बताया?
“उस ने उस से कहा, तू मुझ से भलाई के विषय में क्यों पूछता है? भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो आज्ञाओं को माना कर” (मत्ती 19:17)।

ध्यान दें:-ईश्वर की धार्मिकता, जो मसीह में विश्वास से प्राप्त होती है, अपने साथ ईश्वर का जीवन लाती है, जो धार्मिकता से अविभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है; और परमेश्वर का जीवन, जो मनुष्य को मसीह में उसके विश्वास के द्वारा उपहार के रूप में दिया गया है, वह धार्मिकता का जीवन है, अर्थात् मसीह की धार्मिकता, या सही काम करना।