(18) पश्चाताप

1.पश्चाताप के लिए किसे बुलाया गया है?
“मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं।” (लूका 5:32)।

2.पश्‍चाताप के साथ क्या होता है?
“और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा।” (लूका 24:47)।

3.पाप किस माध्यम से ज्ञात होता है?
“क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।” (रोमियों 3:20)।

4.पापी कितने हैं?
“तो फिर क्या हुआ? क्या हम उन से अच्छे हैं? कभी नहीं; क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनों पर यह दोष लगा चुके हैं कि वे सब के सब पाप के वश में हैं।” (रोमियों 3:9)।

5.अपराधी अपने ऊपर क्या लाते हैं?
“कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है।” (इफिसियों 5:6)।

6.आत्मा को उसकी पापमय स्थिति का बोध कौन जगाता है?
“और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।” (यूहन्ना 16:8)।

7.पाप के दोषियों के लिए उपयुक्त जांच क्या हैं?
“तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें? (प्रेरितों के काम 2:37; 16:30)।

8.इन जाँचों पर प्रेरणा क्या जवाब देती है?
“पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।” (प्रेरितों के काम 2:38; 16:31)।

9.वास्तव में पश्‍चाताप करनेवाले पापी को क्या करने के लिए विवश किया जाएगा?
“इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूंगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूंगा।” (भजन संहिता 38:18)।

10.ईश्‍वरीय शोक का क्या परिणाम होता है?
“क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है।” (2 कुरीं 7:10)।

11.संसार का दुःख क्या करता है?
“क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है।” (2 कुरीं 7:10)।

12.पाप के लिए ईश्वरीय शोक कैसे प्रकट होता है?
“सो देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्वर-भक्ति का शोक हुआ तुम में कितनी उत्तेजना और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और पलटा लेने का विचार उत्पन्न हुआ तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया, कि तुम इस बात में निर्दोष हो।” (2 कुरीं 7:11)।

13.यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने फरीसियों और सदूकियों को उसके बपतिस्मे के लिए आते देखकर उनसे क्या कहा?
“जब उस ने बहुतेरे फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिये अपने पास आते देखा, तो उन से कहा, कि हे सांप के बच्चों तुम्हें किस ने जता दिया, कि आने वाले क्रोध से भागो? (मत्ती 3:7)।

14.उसने उनसे क्या करने को कहा?
“सो मन फिराव के योग्य फल लाओ।” (मत्ती 3:8)।

ध्यान दें:- “सुधार के बिना कोई पश्चाताप नहीं हो सकता। पश्चाताप मन का परिवर्तन है; सुधार जीवन का एक अनुरूप परिवर्तन है।” -डॉ रैले।

15.जब परमेश्वर ने नीनवे के लोगों को एक चेतावनी संदेश भेजा, तो उन्होंने अपना पश्‍चाताप कैसे दिखाया, और इसका परिणाम क्या हुआ?
“जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा, कि वे कुमार्ग से फिर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपनी इच्छा बदल दी, और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया॥” (योना 3:10)।

16.क्या पापियों को पश्‍चाताप की ओर ले जाता है?
“क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है? (रोमियों 2:4)।