(174) ज्योति को नकारने में खतरा

ज्योति को नकारने में खतरा

1. परमेश्वर अज्ञानता के पापों को कैसे देखता है?
“इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी करके, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।” (प्रेरितों के काम 17:30)।

2. पाप किस पर आरोपित किया जाता है?
इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।” (याकूब 4:17)।

3. मसीह ने किन शब्दों में वही सत्य सिखाया?
यीशु ने उन से कहा, यदि तुम अन्धे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिये तुम्हारा पाप बना रहता है ।(यूहन्ना 9:41)। “ यदि मैं न आता और उन से बातें न करता, तो वे पापी न ठहरते परन्तु अब उन्हें उन के पाप के लिये कोई बहाना नहीं।” (यूहन्ना 15:22; 1 यूहन्ना 3:19 देखें)।

4. इसे ध्यान में रखते हुए, वह क्या निर्देश देता है?
यह मनुष्य का पुत्र कौन है? यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ॥ ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा।” ।(यूहन्ना 12:35,36)।

5. ज्योति को कौन आमंत्रित करता है?
“ क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए। परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।” (यूहन्ना 3:20,21)