(172) ईर्ष्या, डाह और घृणा

1. सुलैमान ईर्ष्या के बारे में क्या कहता है?
क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है” (नीतिवचन 27:4)।

2. डाह के बारे में क्या कहा जाता है?
मुझे नगीने की नाईं अपने हृदय पर लगा रख, और ताबीज की नाईं अपनी बांह पर रख; क्योंकि प्रेम मृत्यु के तुल्य सामर्थी है, और ईर्षा कब्र के समान निर्दयी है। उसकी ज्वाला अग्नि की दमक है वरन परमेश्वर ही की ज्वाला है। “(श्रेष्ठगीत 8:6)।

3. घृणा के बारे में क्या कहा जाता है?
जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता”( 1 यूहन्ना 3:15)।

4. महायाजकों ने ईर्ष्या के कारण मसीह के साथ क्या किया?
“ क्योंकि वह जानता था, कि महायाजकों ने उसे डाह से पकड़वाया था।” (मरकुस 15:10)।

5. इसने यहूदियों को पौलुस के दिनों में क्या करने के लिए प्रेरित किया?
परन्तु यहूदी भीड़ को देख कर डाह से भर गए, और निन्दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे”(प्रेरितों के काम 13:45)।

6. जहां डाह और झगड़े होते हैं वहां क्या होता है?
इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है। “(याकूब 3:16)।

7. अपने दिल पर कड़ी नज़र क्यों रखनी चाहिए?
सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।” (नीतिवचन 4:23)।