जय पाना
1. संसार पर कौन जय पाता है?
“क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है।” (1 यूहन्ना 5:4)।
2. किसकी जीत में मसीही कभी आनन्दित हो सकता है और साहस कर सकता है?
“मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है॥” (यूहन्ना 16:33)।
3. वह कौन है जो जय पाता है?
“संसार पर जय पाने वाला कौन है केवल वह जिस का यह विश्वास है, कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र है” (1 यूहन्ना 5:5)।
4. तब, जय पाने के कार्य में विजय किस के द्वारा प्राप्त की जाती है?
“और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।” (पद 4, अंतिम भाग)।
5. हम किसके द्वारा जय पाते हैं?
“परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।” (1 कुरिन्थियों 15:57)। “परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।” (रोमियों 8:37)।
6. जब मसीह की परीक्षा हुई तब उसने कैसे जय पायी?
“परमेश्वर के वचन के द्वारा।” (देखें मत्ती 4:1-11)।
7. शास्त्र कैसे कहते हैं कि संतों ने शत्रु पर विजय प्राप्त की?
“और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।” (प्रकाशितवाक्य 12:11)।
8. प्रेरित पौलुस हमें बुराई पर विजय पाने के लिए क्या कहता है?
“बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥”(रोमियों12:21)।
9. याकूब का नाम बदलकर इस्राएल क्यों रखा गया?
“उसने कहा तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध कर के प्रबल हुआ है।” (उत्पति 32:28)।
बड़े और अनमोल वादों से बढ़कर
“जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा॥” (प्रकाशितवाक्य 2:7)।
“जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, उस को दूसरी मृत्यु से हानि न पहुंचेगी॥” (पद 11)।
“जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है; जो जय पाए, उस को मैं गुप्त मन्ना में से दूंगा, और उसे एक श्वेत पत्थर भी दूंगा; और उस पत्थर पर एक नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके पाने वाले के सिवाय और कोई न जानेगा॥” (पद 17)।
“जो जय पाए, और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, मैं उसे जाति जाति के लोगों पर अधिकार दूंगा।” (पद 26)।
“जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूंगा, पर उसका नाम अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के साम्हने मान लूंगा।” (प्रकाशितवाक्य 3:5)।
“जो जय पाए, उस मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊंगा; और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्वर का नाम, और अपने परमेश्वर के नगर, अर्थात नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्वर के पास से स्वर्ग पर से उतरने वाला है और अपना नया नाम उस पर लिखूंगा।” (पद 12)।
“जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।” (पद 21)।
“और फिलेदिलफिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो पवित्र और सत्य है, और जो दाऊद की कुंजी रखता है, जिस के खोले हुए को कोई बन्द नहीं कर सकता और बन्द किए हुए को कोई खोल नहीं सकता, वह यह कहता है, कि।” (प्रकाशितवाक्य 21:7)।