1.परमेश्वर के चरित्र को किस एक शब्द में व्यक्त किया गया है?
“जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।” (1 यूहन्ना 4:8)।
2. परमेश्वर के कुछ गुण क्या हैं?
“यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करूणामय है।” (भजन संहिता 145:17)।
3.क्या मसीह में भी यही गुण हैं?
“वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।” (यशायाह 53:11)। “क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा॥” (भजन संहिता 16:10)।
4.मूसा को अपने नाम की घोषणा करते समय, प्रभु ने अपने चरित्र को कैसे परिभाषित किया?
“तब यहोवा ने बादल में उतर के उसके संग वहां खड़ा हो कर यहोवा नाम का प्रचार किया। और यहोवा उसके साम्हने हो कर यों प्रचार करता हुआ चला, कि यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करूणामय और सत्य, हजारों पीढिय़ों तक निरन्तर करूणा करने वाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करने वाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा, वह पितरों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों वरन पोतों और परपोतों को भी देने वाला है।” (निर्गमन 34:5-7)।
5.परमेश्वर की कोमल करुणा के बारे में क्या कहा जाता है?
“परन्तु प्रभु तू दयालु और अनुग्रहकारी ईश्वर है, तू विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।” (भजन संहिता 86:15)।
6.अपने वादों को पूरा करने में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के बारे में क्या कहा जाता है?
“इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, वह विश्वासयोग्य ईश्वर है; और जो उस से प्रेम रखते और उसकी आज्ञाएं मानते हैं उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा पालता, और उन पर करूणा करता रहता है।” (व्यवस्थाविवरण 7:9)।
7.परमेश्वर की शक्ति और बुद्धि के बारे में क्या कहा गया है?
“देख, ईश्वर सामथीं है, और किसी को तुच्छ नहीं जानता; वह समझने की शक्ति में समर्थ है।” (अय्यूब 36:5)।
8.मसीह में कौन-से खज़ाने छिपे हैं?
“जिस में बुद्धि और ज्ञान से सारे भण्डार छिपे हुए हैं।” (कुलुसियों 2:3)।
9.परमेश्वर के न्याय का वर्णन किस भाषा में किया गया है?
“वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा ईश्वर है, उस में कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है॥” (व्यवस्थाविवरण 32:4)।
10.उसकी निष्पक्षता की घोषणा किन शब्दों में की गई है?
“क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान् पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।” (व्यवस्थाविवरण 10:17)। “तब पतरस ने मुंह खोलकर कहा; अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों के काम 10:34,35)।
11.यहोवा कितनों के लिए भला है?
“यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है॥” (भजन संहिता 145:9)।
12.मसीह ने हमें अपने शत्रुओं से प्रेम करने के लिए क्यों कहा?
“परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनो पर अपना सूर्य उदय करता है, और धमिर्यों और अधमिर्यों दोनों पर मेंह बरसाता है।” (मत्ती 5:44-45)।
13.मसीह अपने अनुयायियों को कितना सिद्ध होने के लिए कहता है?
“इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है॥” (मत्ती 5:48)।